Add To collaction

हमसफ़र 15 पॉर्ट सीरीज पॉर्ट - 2




हमसफ़र (भाग -2)


वीणा आई अपने कॉलेज। यहाँ भीड़ तो काफी थी परन्तु नंबरअच्छा होने के कारण उसका क्रमाँक चौबिसवें नंबर पर था। उनमें भी उसके ऊपर की कुछ लड़कियाँ नहीं पहुँची थीं इसलिये उसको कॉनसेलिंग के लिये एक घण्टा भी प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ी। उसके सारे प्रमाणपत्रों की जाँच के बाद फीस जमा करने का निर्देश मिला। उसे एक साथ एक लाख रुपये जमा करना था। उसने अपनी घरेलू स्थिति की जानकारी दी और कहा --" आप किश्त में फीस देने की अनुमति मुझे  दें। अभी मैं बीस हजार दे रही हूँ। छः महीना में मैं पूरी फीस दे दूँगी"।



लेकिन कॉलेज वाले नहीं तैयार हुए।उनका कहना - " अभी पचास हजार देना होगा । शेष पचास हजार के लिये हम एक माह का समय दे सकते हैं। यदि ऐसे फीस दे सकती हैं तभी ऐडमिशन मिलेगा"। 



   वीणा दुःखी मन से वापस निकल गई। वीणा के पास मात्र बीस हजार रुपये ही थे। एक माह के अन्दर एक लाख पूरा करना तो असम्भव था। वहां से वापस हो गई। वापस दोनों स्टेशन पहुँचे। ट्रेन आने में अभी देर थी। एक खाली बेंच देखकर दोनों बैठ गये। दोनों भूखे थे लेकिन इतने दुःखी थे कि दोनों की कुछ खाने की इच्छा ही नहीं हो रही थी।




   वीरेन हिम्मत कर बोला - " दीदी तुम यहाँ रुको मैं कुछ खाने के लिये लेकर आता हुँ । भूख लगी है बड़े जोरों की"।

  वीरेन उठकर गया।वह गेट से थोड़ा पीछे ही था कि उसे आवाज आयी किसीके पुकारने की। पलटकर देखा तो सुमित था।

  सुमित - " वीरेन कहाँ जा रहे हो यूँ अकेले? तुम्हारी दीदी कहाँ हैं, हो गया उनका ऐडमिशन"?



  वीरेन - " नहीं फीस कम हो गया इसलिये वापस भेज दिया। अब हम घर वापस जा रहे हैं। दीदी को बैठाकर मैं कुछ खाने को लेने जा रहा था"।



  सुमित - " चलो वापस उनके कॉलेज जाना है। उनका काम हो जायेगा। बुलाओ उन्हें जल्दी"।




वीरेन - " पर कैसे होगा उन्होंने तो वापस •••••।

  वीरेन आश्चर्य चकित था मगर अजय उसकी बात पूरी होने के पहले बोला - 



   " बातें बाद में पहले अपनी दीदी को बुलाओ वर्ना कॉलेज बन्द हो जायेगा"।



सुमित और वीरेन तेजी से वीणा के पास पहुँचे। सुमित ने कहा -

    "मेरा ऐडमिशन हो गया है, अब चलिये आपका ऐडमिशन करवाने चलें"।



वीणा ने कुछ बोलना चाहा परन्तु सुमित ने अवसर नहीं दिया। कहा - 



   बातें रास्ते में करेंगे वर्ना कॉलेज बन्द हो जायेगा"।



  तीनो कॉलेज वापस जाने के लिए स्टेशन से बाहर आये और एक टैक्सी लेकर ड्राइवर को कॉलेज का पता बताया और चल पड़े। रास्ते में वीणा ने फिर पूछना चाहा तो सुमित ने ड्राइवर की ओर इशारा कर चुप रहने को कहा। वीणा चुप तो हो गई परन्तु वह परेशान थी। एक बार कॉलेज वालों ने वापस भेज दिया अब कैसे ले सकते हैं उसका ऐडमिशन।





  इसी सोच विचार में डूबी रही वीणा।



   "दीदी उतरो हम पँहुच गये" –




   भाई की आवाज सुनकर वह चौंक पड़ी। अरे हाँ कॉलेज तो आ गया था। सुमित आगे ड्राइवर के पास ही बैठा था। उसने कब भाड़ा दिया इन्हें पता भी नहीं चला। टैक्सी वापस भेज ये लोग कॉलेज के अन्दर गये।




   सुमित ने वीणा को पचास हजार रुपये दिया और कहा - " जाइये अब आप फीस जमा कर अपना ऐडमिशन करवा लीजिये"।

  वीणा  –" परन्तु आपके पास इतने रूपये कहाँ से आये,और मैं आपसे पैसे नहीं ले सकती"।




  सुमित - "अरे आप बिना एडमिशन लिए नहीं जा सकती हैं। चलिए इन रुपयों से आपका एडमिशन हो जाएगा। इसलिए रूपये ले लीजिये। मैं एक लाख लेकर आया था फीस देने के लिए। हमारे कॉलेज में मैंने किश्त के लिये बात की तो वे आधी फ़ीस देने पर ऐडमिशन के लिये पर तैयार हो गये।तो मैंने आधी फीस दिये और आधे रख लिए। तो वही 50,000 मेरे पास बचे हुए हैं। मैंने सोचा अगर आपको जरूरत होगी तो आपको दे देंगे,और अगर आपको जरूरत नहीं हुई तो फिर वापस जाकर कॉलेज को दे देंगे l स्टेशन आए थे आपको देखने कहीं ऐसा तो नहीं कि आप लोग लौट रहे हों। यहाँ दो ही B.ED कॉलेज है और दोनों एक ही संस्था का है। इसलिए मुझे लग गया कि दोनों की तो नियमावली एक ही होगी । जब वह आधे में कर रहे हैं, आपका भी आधे में ही करेंगे। लीजिये और जाकर फीस जमा कीजिये; फिर हम स्टेशन जाएँगे। अजय वहाँ प्रतीक्षा कर रहा होगा। उसका नहीं हुआ था तो उसे मैंने ऐडमिशन के बाद स्टेशन पर जाकर रुकने के लिए कहा और आपकी खोज में स्वयँ निकल पड़ा"।




  इतना लम्बा स्पष्टीकरण सुनकर वीणा चकित थी। कोई कैसे एक अंजान के लिये इतनी तकलीफ उठा सकता है। वीणा सोच नहीं पा रही थी क्या किया  जाए। उससे रुपये लेना नहीं चाहती थी।  उसने रुपये लेने से मना किया तो वह वीरेन से कहने लगा -




    "अरे वीरेन तुम अपनी दीदी को समझाओ ना। अभी ले लें और जब तुम्हारे पापा पैसा देंगे कॉलेज में देने के लिये उस समय मुझे वापस दे देंगी। भाई ने बात को समझा तो भाई ने भी कहा - 




   "दीदी  ले लो न । इस तरह तुम दोनों का काम हो जा रहा है। भैया का एडमिशन हो ही गया, तुम्हारा भी हो जाएगा। और ऐसा थोड़ी ना है कि हम लोग उनका पैसा नहीं चुका पाएंगे। पापा  जब देंगे तुमको तो वापस कर देना। और पापा को जब पता चलेगा सुमित भैया ने हमारी मदद की है तो वह कोशिश करेंगे और जल्दी ही पैसा वापस करने का। अभी  ले लो  फिर भाई के भी जिद करने पर वीणा पैसा ली।  



  वीणा ने कहा मैं तीस हजार लेती हूँ l बीस हजार हैं मेरे पास तो सुमित ने कहा  - " नहीं आप पूरे रुपये रख लीजिये। आप अपने पास बीस हजार रख लीजिये। फिर अगले माह पचास हजार देना है तो आपके पापा को कम रुपयों की व्यवस्था करनी होगी। आप मेरे चिन्ता मत कीजिये। आप अपनी सुविधा से वापस कीजियेगा। मैं पापा को बोल दूंगा मैंने 50000 का कुछ  विशेष काम किया है । और पापा से पैसे लेकर कॉलेज में दे दूंगा"।



  वीणा  - "आप अपने घर वालों से झूठ बोलेंगे"?



सुमित  - " आपने कैसे सोचा मैं झूठ बोलूँगा l मैं कभी झूठ नहीं बोलता। यदि मैं पैसे बर्बाद करने वाला होता तो मेरे घर वाले मुझे इतने रुपये देकर अकेले नहीं भेजते। अब आप जल्दी कीजिये वर्ना हम बहस करते रहेंगे और कॉलेज बन्द हो जायेगा। देखिये अब कितने कम लोग बचे हैं"।



   अब वीणा और मना नहीं कर सकी, और उसने पचास हजार रुपये सुमित से लेकर कॉलेज की फीस देकर अपना ऐडमिशन वहां करवा ली। 

  



क्रमश



निर्मला कर्ण




   15
3 Comments

Alka jain

04-Jun-2023 12:53 PM

V nice 👍🏼

Reply

वानी

01-Jun-2023 06:57 AM

Nice

Reply